संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयॉर्क – गाजा पट्टी में जारी हिंसा और मानवीय संकट के बीच, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया, जिसमें तत्काल और स्थायी युद्धविराम की मांग की गई है। इस प्रस्ताव के पक्ष में 15 में से 14 देशों ने मतदान किया, जबकि एक देश ने इसका विरोध किया।
प्रस्ताव का उद्देश्य गाजा में चल रहे सैन्य अभियान को समाप्त करना है, जहाँ 2 मिलियन से अधिक लोग भयंकर संकट का सामना कर रहे हैं। यह युद्धविराम प्रस्ताव न केवल संघर्षविराम की मांग करता है, बल्कि मानवीय सहायता के निर्बाध वितरण और बंधकों की रिहाई पर भी बल देता है।
सूत्रों के अनुसार, अमेरिका एकमात्र ऐसा देश था जिसने इस प्रस्ताव के समर्थन में वोट नहीं दिया। हालांकि, अमेरिका ने इससे पहले युद्धविराम की दिशा में प्रयासों का समर्थन किया था, लेकिन इस प्रस्ताव में कुछ शब्दों को लेकर उसकी असहमति बनी रही।
गंभीर मानवीय संकट
गाजा में हालात दिन-प्रतिदिन बदतर होते जा रहे हैं। बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी, अस्पतालों की जर्जर स्थिति और विस्थापितों की बढ़ती संख्या ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता बढ़ा दी है।
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने प्रस्ताव को ‘मानवता की दिशा में एक निर्णायक कदम’ बताया और सभी पक्षों से तत्काल इसका पालन करने की अपील की।
भारत की भूमिका
भारत ने भी इस प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया, यह दर्शाते हुए कि वह संघर्ष की समाप्ति और स्थायी शांति के लिए प्रतिबद्ध है। भारत ने गाजा में नागरिकों की पीड़ा पर गहरी चिंता व्यक्त की और सभी पक्षों से संयम बरतने का आग्रह किया।
निष्कर्ष
यह प्रस्ताव ऐसे समय आया है जब अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ता जा रहा है कि संघर्ष को समाप्त किया जाए और गाजा के लोगों को राहत पहुंचाई जाए। हालांकि, अंतिम सफलता इस पर निर्भर करेगी कि क्या ज़मीनी हकीकत में सभी पक्ष युद्धविराम का सम्मान करते हैं या नहीं।