बैंकॉक/म्यांमार:
एक नकली नौकरी का विज्ञापन, फ्री हवाई टिकट और विदेश में बेहतर भविष्य की उम्मीद – यही सपना लेकर दर्जनों भारतीय, नेपाली, और अन्य दक्षिण एशियाई युवा बैंकॉक पहुंचे। लेकिन जैसे ही वे म्यांमार के अराजक सीमा क्षेत्र में दाखिल हुए, उनका सपना डरावने हकीकत में बदल गया।
यह कहानी है म्यांमार के "स्कैम कम्पाउंड्स" (ठगी केंद्रों) की, जहां मानव तस्करी, ज़बरदस्ती का श्रम और तकनीकी ठगी की दुनिया छिपी हुई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, $60 अरब (लगभग 5 लाख करोड़ रुपये) का यह वैश्विक स्कैम सिंडिकेट दक्षिण-पूर्व एशिया से ऑपरेट हो रहा है।
कैसे होती है शुरुआत:
शिकारों को ऑनलाइन नौकरी के विज्ञापन के ज़रिए फंसाया जाता है। "हाई-पेइंग जॉब" या "वर्क फ्रॉम होम" जैसे ऑफर्स के साथ उन्हें बैंकॉक बुलाया जाता है। वहां से एजेंट उन्हें अवैध रूप से म्यांमार की सीमा पार करवा देते हैं।
स्कैम सेंटर की हकीकत:
एक बार म्यांमार के कछिन या शान राज्यों की सीमा के अंदर पहुंचने के बाद, इन युवाओं को पासपोर्ट छीनकर एक कंपालड में बंद कर दिया जाता है। वहां उन्हें ऑनलाइन फ्रॉड – जैसे कि क्रिप्टो स्कैम, लव स्कैम, और निवेश घोटालों – में जबरदस्ती लगाया जाता है।
भागने की कोशिश और गोलीबारी:
कुछ मज़दूरों ने हाल ही में वहां से भागने की कोशिश की, लेकिन म्यांमार की सीमा पर पहले से ही तैनात हथियारबंद सैनिकों ने उन्हें रोक लिया। कई को मारपीट कर वापस कैंप में फेंक दिया गया। कुछ की हालत गंभीर है।
सरकारी रवैया और मांग:
मानवाधिकार संगठनों और अंतरराष्ट्रीय मीडिया की रिपोर्ट्स के बावजूद अब तक ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। भारत, नेपाल और अन्य देशों के परिजन अपने बच्चों की सुरक्षित वापसी की गुहार लगा रहे हैं। म्यांमार की सरकार पर कार्रवाई का अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है।
निष्कर्ष:
यह स्कैम केवल आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि मानवता के खिलाफ एक संगठित अपराध है। आवश्यकता है कि भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां मिलकर इस नेटवर्क को खत्म करें और फंसे हुए युवाओं को जल्द रिहा कराएं।