मिथिले तक नहि छथि मैथिल

Hindi Gaurav :: 07 Aug 2015 Last Updated : Printemail

गप्प अछि नवंबर 2007 केर, एहि समयमे हम गोवा न्यूज (जे कि गोवा अवस्थित अंग्रेजी क्षेत्रीय न्यूजचैनल छ्ल) मे काज करैत रही। गोवामे सोलहम अंतराष्ट्रीय मैथिली परिषदक सम्मेलन भेल छ्ल, जकरअध्यक्षता श्री विनय कुमार झा ,चीफ़ विजिलेंस,गोवा स्टेट केलथि। एहि कांफ़रेंसक एकटा छोट सनक अंशयू-टयूब साइट पर सेहो उपलब्ध अछि। एहि कार्यक्रमकेँ कवर करबाक भार अपन संस्थासँ हमरे भेटल छ्ल।एहि कार्यक्रमक दौरान बहुत रास चित्र जे स्पष्ट भऽ कऽ सोझाँ आयल ऽ  सभ छल…….

1. बहुत रास मैथिल छतीसगढ आ मध्य प्रदेशमे बसल छथि। हालांकि आब हुनका सबहक मातृभाषामैथिली नहि रहि गेल अछि। यदि आओर तहमे जाई तँ ओऽ लोकनि मैथिली भाषा बिसरि चुकल छथि,तथापि मिथिलासँ ओतबेक स्नेह आ लगाव छन्हि, जतबाक हमरा सबकेँ अछि। हुनकर सबहक पुस्त बहुतपहिने ओतए चलि गेल रहथिन्ह। गप्प करीब 4-5 पुस्त पहिनेक अछि।

2. दिल्लीक नांगलोई इलाकामे सेहो किछु रास मैथिल छथि, जे कि अपन जीवनयापनक क्रममे कतेकरास आन आन व्यवसाय सब अपना लेने छथि। संगहि देशक भिन्न– भिन्न भागमे कतेको ठाम मैथिललोकनि वृहद समुदायक संग रहि रहल छथि। ओना भाषा एहिमे सँ बहुतो गोटेक हरा गेल अछि।

3. एकटा आरो गप्प जे कि सामने आयल ऽ छल, जे कि गोवाकेँ मैथिले ब्राहम्ण सब बसेने छथि आ एकरप्रमाण स्कन्द पुराणमे भेटैत अछि। हम अहाँ केँ  बात कहि दी, जे कि गोवन (गोवाक वासी) सबहकमातृभाषा कोंकणी अछि मुदा एहि भाषाक बहुतो रास शब्द मैथिली भाषाक अछि। किछु शब्दक बारेमे हमअहाँ सबकेँ कहि रहल छी, जेना कि अदहन (भातक लेल गरम कएल गेल पानि), पाहुन (गेस्ट), मधुरआदि। ओहो सब कोजगरा दिन लक्ष्मी पूजा करैत छथि। रहनसहनक स्तर अपना सबसँ बहुत हद तकमिलैत अछि। आओर तहमे गेनाय अखन उचित नहि अछि।

कार्यक्रममे कतेको मिथिला-विभूति सब उपस्थित छलाह। वर्तमानमे दिल्ली पुलिसमे वरिष्ठ अधिकारी श्रीउज्जवल मिश्र ओहि ठाम तत्कालीन डी.आइ.जी. छलाह। भारतक विभिन्न भागक संगे नेपालक किछु रासप्रतिनिधि सब सेहो पहुंचल छलाह। एहि कार्यक्रमक कवर करबाक लेल गोवा न्यूज आ नेपाल टीवी(नेपालक) चैनल पहुंचल छल, जखन कि बडकाबडका मैथिल पुरोधा सब गोवामे विभिन्न मीडिया लेलकाज करैत छथि। बादमे जहन हुनका सबसँ जिज्ञासा बस पुछलियन्हि तँ कुनू ने कुनू ओहने बहाना बनालेलाह, जेना कि जखन प्रधानमंत्री स्व० राजीव गांधीक समयमे मधुबनी के एम०पी० हनान अंसारी लोकसभामे मैथिली केँ अष्टम सूचीमे जोरबाक लेल आवाज बुलंद केलथि तँ श्री भोगेन्द्र झा जी जे कुनू बहान्नाबनेने रहथि। हम एकर तहमे नहि जाय चाहब, सब गोटे बुझि रहल छी। अल्पज्ञ कहु वा किशोर हमरामोनमे कतेको प्रश्न उठए लागल जे एनामे मैथिली कोना बचल रहत।

हयऔ, हमर भाषा कुनू अन्य भाषा सँ कनिको कमजोर नहि अछि। हमरा लोकनि अंग्रेजी बाजैत छी,आधुनिक परिधान पहिरैत छी, सबटा बड्ड नीक बात अछि। मुदा एहि तमाम चीजक मूल्यक रुपमे अपनभाषा आ संस्कृति केँ उत्सर्ग केनाय हमरा नहि पचि रहल अछि।  तँ ओहने गप्प भेल जेना किछु रासलोककेँ आर्थिक तंगी नहि रहलाक बादो दोसरसँ कर्ज लेबाक प्रवृति होय छन्हि।

परिवर्तनक फ़ेज सँ गुजरि रहल अपन समाज कहीं त्रिशंकु तँ नहि बनि रहल अछि।एखन बस एतबे।

मीडिया कतअ ल जा रहल अछि?

गप आरुषि कांड के करी वा मिथिलांचल मे आयल कोसी के कहरक या हाल मे दिल्ली मे भेल सिरीयल बमब्लाष्टक। यदि अहां सब पछिला किछु दिनका मीडिया के इतिहास पर नजरि डालि तअ देखु जे  किपरोसि रहल अछि  विडंबना देखु,दर्शक/पाठक के जे  ओकरा यथावत ग्रहण करबाक लेल बाध्य छथि।मीडिया के भूमिका के लेल अपना अहि ठाम एकटा कहावत ‘खशी के जान जाय,आ खाय वला के स्वादेनहि‘ वला सहत प्रतिशत ठीक बैस रहल अछि। हमरा बुझा रहल अछि जे अहां सब सनक पाठक लेलमीडियाक छवि के आओर उजागर केनाय उचित नहि हैत।

अहि  छोडि यदि मीडिया के आंतरिक संरचना पर ध्यान दी  जतेक निम्न काटि वा अहु  खराब जैं कुनुशब्द होय  संबोधनक स्वरुप  सकैत छी। यदि टीवी पर देखाय वला सुन्दर चेहरा वा अखबार/मैगजिन मेलिखै वला पुरोधा सब के निजी जीवन मे झांकि  देखब  ओहि मे  अधिकतर व्यक्ती के व्यक्तित्वकसमीक्षा केलाक बाद मोन घृणित  जायत। मुदा विडंबना देखु जे सब गोटे सब बात बुझैत बेबस छी। जेमीडिया दोसरक स्टिंग आपरेशन करैया कि ओकरा लेल सेहो स्टिंग आपरेशन नहि होयबाक चाहि? मुदा इके करत? हम सब  बगनखा पहिरने छी।

बहुतो मैथिल पुरोधा सब मीडिया के शिर्ष पद सब के सुशोभित  रहल छथि,मुदा कि मजाल जे  कखनोसत्य बाजि दैथ। हमहु ओहि भीड मे कतौह के कतौ शामिल छी,इ कहैत कोनो लाज नहि  रहल अछि।कहियो तिलक जेकां पत्रकार होयत छलाह। मुदा आजुक पत्रकार सब समाज के धनाढय वर्ग मे  आबैतछथि।

पाठकगण अहां सब मे  जे कियो मीडियाकर्मी होयब  हमरा माफ़  देब,मुदा कि हम सब  दोहरा चरित्रजीवन जिबअ  मुक्त नहि  सकै छी? अपन पूर्वज के रुप मे मंडण,अयाची,जनक  विद्यापति केसंतान हम सब कतह जा रहल छी? अहां सब मे  जे कियो मीडिया के नजदिक  नहि देखने होय  कोनोनिकट परिचत जे अहि क्षेत्र मे काज  रहल हेताह,हुनका  पुछि लेबन्हि। जैं सत्य बाजअ चाहताह तसच्चाई  अवगत  जायब।

कोना बचत मिथिलाक स्मिता ?

आई जहन  अपना सबहक चहुतरफ़ा विकास भ रहल अछि त हम सब अपन महत्वांक्षा के पाबि के अत्यधिक प्रसन्न भ रहल छी,हेबाको चाही। मुदा कि महत्वाकांक्षा के रथ पर सवार भ कअ हम सब कतेक मगरुर नहि भ गेल छी जे अपन स्मिता अपना स कोसो दूर पाछु छुटि रहल अछि। मुदा तकरा समेतनिहार कियो नहि अछि। आय अपना अहिठामक युवा वर्ग अत्यधिक दिग भ्रमित भ रहल अछि,ओकरा कियो सहि मार्ग दर्शक नहि भेट पाबि रहल अछि। अखुनका समय कतेको पाबनि तिहार क महिना आबि गेल अछि आ कतेको गाम मे दुर्गा पूजा के अवसर पर सास्कृतिक कार्यक्रम आयोजित कैल जायत अछि मुदा किछु वर्ष पूर्व मे चलु–आइ सअ आलो पहिले हर गाम मे युवक सब नाटक खेलाय छलाह,महिनोतक रामलिला ले आयोहन होयत छल,ओ सब आय कतह चलि गेल छथि। कि आर्केस्ट्रा आ परोसी (तवायफ़) के नाच मे ओ सब हरा गेल छथि। परोसजी के कार्यक्रम इ असर पड़ैत अछि जे मंदिरक कार्यकर्ता सब सेहो एकर मजा उठाबअ लागैत अछि। इमहर मौका पाबि कुकुर,बिलाडि मैया के प्रतिमा के सेवा मे लागि जाइया। देखने हैब जे कुकुर मुर्ती के चाटि रहल अछि। उमहर हम सब अपन तीन पुस्तक (पुरुखा) संग माने बाप– बेटा आ पोता समेत बाईजी पर पाई लुटाबय के अवसर के नहि गवांबैत छी। अधिकतर गोटे अहि स अवगत होयब।

दोसर कतअ जा रहल अछि अपन संस्कार? हयउ,आब शायद कतौ महिनो तक चलैबला रामलिलाक तम्बु गाम मे देखायत होयत? हम अपन छोट सनक अनुभव अपने संग बांटअ चाहब। पहिले रामलीला के टोली के कियो माला (मने एक दिनक भोजन) उठेनिहार नहि होइ,माने इ जे मात्र पेटे पर जे टीम सबहक मनोरंजनक वास्ते तैयार रहैत छल,ओकरा अपन समाज नकारि देलक मुदा आखन प्रायःहर छोट पैघ शहर अतह तक कि देशक राजधानी मे दुर्गा पूजा के अवसर पर लाखो आदमी रामलीलाक खुब लुफ़्त उठबैत छैथ। कतो कतो तअ रामलीला देखै के लेल टिकट सेहो लागैत अछि,कि हम झूठ बाजि रहल छी। एना मे दु टा गप्प जे हमरा स्पष्ट भेल–पहिल जे लोक के ओहि प्रति ओ रुझान नहि रहलन्हि जे कि बाईजी के नाच मे वा कौआल–कौआली मे जे कि राति भरि सबके गरिया क चलि जाइया आ हजारो आदमी मंदिरक आस पास ततबाक गोत गोबर कअ दैत छथि जे अगिला किछु महिना तक उमहर नहिये जाय मे कुशल बुझैत छी। अहि स गामक कलाक ह्रास खूब पैघ स्तर पर भेल अछि,सब गोटे बुझिति अंजान छी।

तेसर आ गंभीर गप्प इ जे समाज मे जे भाई चारा मे छल कि ओ खत्म भ गेल अछि। कि अपन समाज ततेक गरीब तअ नहि भ गेल अछि जे आहिठम दस गोटे के भोजन करेनाय आय कठिन भ गेल अछि। एकर एकटा छोट सनक उदाहरण हम देबए चाहैत छी जे जौं अहाँ सब मे स किछु आदमी दिल्ली–बंबई स कमा क मास दिनक लेल गाम जायत होय तअ अनुभव करैत होयब जे गाम मे बीतल समय के संगे संग अपनेक मेंटिनेन्स पर होय वला खर्च मे कटौति सेहो सबगोटे व्यक्तीगत अनुभव के गहराई स देखु। अखन बस अतेबैक।

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