11 चुनाव जीतने वाले इस कांग्रेसी दिग्गज को मोदी की सुनामी में मिली पहली बार हार

Hindi Gaurav :: 24 May 2019 Last Updated : Printemail

Image result for मल्लिकार्जुन खड़गेमल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस में एक ऐसा नाम है जिनकी जीत को लेकर पार्टी हमेशा से निश्चिंत रही. ये ऐसे नेता हैं जिन्होंने जहां से चुनाव लड़ा जीत का परचम लहराया लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में मोदी के तूफान ने इन्हें भी निगल लिया. लोकसभा चुनाव के महासंग्राम में गुलबर्गा सीट से ताल ठोकने वाले खड़गे को हार का सामना करना पड़ा है. यह पहली बार है जब खड़गे को किसी चुनाव में हार का सामना करना पड़ा हो.

खड़गे ने अपने जीवन में कई चुनाव देखे और 9 बार विधायक व दो बार सांसद रहे, लेकिन मोदी सुनामी में उनकी एक न चली. लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को गुलबर्गा और पूर्व प्रधानमंत्री एवं जद (एस) सुप्रीमो एच डी देवगौड़ा को तुमकुर सीट पर भाजपा उम्मीदवारों के हाथों हार का सामना करना पड़ा. भाजपा के जी बासवराज ने तुमकुर सीट पर देवगौड़ा को 13,339 वोटों से हराया जबकि भाजपा उम्मीदवार उमेश जाधव ने खड़गे को उनके राजनीतिक करियर में पहली बार मात दी. खड़गे 95,452 वोटों से हारे.

यह वही खड़गे हैं जिन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में भी गुलबर्गा सीट से जीत हासिल की और कांग्रेस संसदीय दल के नेता बने. यूपीए सरकार में वे रेल मंत्री, श्रम और रोजगार मंत्री का कार्यभार संभाल चुके हैं. वे गुलबर्गा से दो बार सांसद भी रहे. इतना ही नहीं लोकसभा में कांग्रेस के संसदीय दल के नेता भी हैं. खड़गे स्वच्छ छवि वाले नेता माने जाते हैं.

कर्नाटक की राजनीति में खड़गे को दलित नेता के तौर पर माना जाता है. 2013 में मल्लिकार्जुन खड़गे सीएम की रेस में भी थे, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें राज्य की कमान सौंपने के बजाय राष्ट्रीय राजनीति की जिम्मेदारी सौंपी. 1969 में कांग्रेस का दामन थामने वाले खड़गे पहले गुलबर्गा के कांग्रेस शहर अध्यक्ष बने. इसके बाद 1972 में पहली बार विधायक बने. इसके बाद 2008 तक लगातार वे 9 बार लगातार विधायक चुने जाते रहे. इसके बाद 2009 में गुलबर्गा लोकसभा सीट से संसदीय चुनाव में उतरे और जीतकर संसद पहुंचे.

वर्तमान लोकसभा चुनाव में खड़गे के खिलाफ बीजेपी से डॉ. उमंग जी जाधव और बसपा से केबी वासु सहित कई उम्मीदवार सियासी रण में उतरे थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में कर्नाटक में कांग्रेस और जद (एस) को महज एक-एक सीटें नसीब हो सकीं. बताया जा रहा है कि यह कर्नाटक में कांग्रेस का अब तक का सबसे बदतर प्रदर्शन है और भाजपा के लिए एक तरह से रिकॉर्ड प्रदर्शन है.

 

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