पुलिस ने दिल्ली में चार महीने पहले लापता हुई 12 वर्षीय बच्ची को गूगल मैप की मदद से उसके पिता से मिला दिया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. पुलिस के अनुसार बच्ची 21 मार्च को होली के दिन कीर्ति नगर के निकट ई-रिक्शा में सवार हुई थी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जब बच्ची मेट्रो स्टेशन पर नहीं उतरी तो ई-रिक्शा चालक ने उससे पूछा कि वह कहां जाना चाहती है, लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया. वह उसे रात 8 बजकर 33 मिनट पर कीर्ति नगर पुलिस थाने ले गया. अधिकारी ने कहा कि शुरुआती जांच के दौरान बच्ची अपना घर याद नहीं कर सकी और उसने केवल यह कहा कि वह "खुर्जा" गांव से है और उसके पिता का नाम जीतन है.
पुलिस ने दिल्ली के खजूरी खास और खुरेजी इलाकों में तलाश की चूंकि इन इलाकों का नाम 'खुर्जा' शब्द से मिलता-जुलता है, लेकिन उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दायर कराये जाने की कोई जानकारी नहीं मिली. इसके बाद वे मानसिक रूप से कमजोर बच्ची को नजदीकी जेजे कॉलोनी ले गए, लेकिन कोई भी उसे पहचान नहीं पाया. पुलिस उपायुक्त (पश्चिम) मोनिका भारद्वाज ने कहा पुलिस की एक टीम बच्ची को चार बार उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के खुर्जा गांव ले गई, लेकिन उन्हें उसके परिवार के बारे में कोई सुराग नहीं मिला. इसके बाद पुलिस की टीम जब 31 जुलाई को एक बार फिर खुर्जा ले गई तो वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने उससे उसके गांव के आसपास के इलाकों के नाम पूछे. बच्ची ने बताया कि उसकी मां का गांव सोनबरसा है और उसके गांव के निकट साकापर नामक जगह है.
इसके बाद पुलिस को गूगल मैप के जरिये पता चला कि उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में साकापर, सोनबरसा और "खुर्जा" नाम के गांव हैं. पुलिस ने उसके परिवार का भी पता लगा लिया. एक अगस्त को खुर्जा निवासी उसका पिता जीतन गोरखपुर से दिल्ली आया. जीतन ने बताया कि वह मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (IHBAS) में अपनी बेटी का इलाज कराने के लिये दिल्ली आया था उसकी बेटी कीर्ति नगर के निकट जेजे कॉलोनी स्थित उसकी बहन के घर से लापता हो गई थी, लेकिन उसने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई.