अजब गज़ब सी बातें करते हो तुम,
मुझको उड़ान देकर क्यूँ हँसते हो तुम ।
तुमसे ही ज़िंदगी है तुमसे ही ये सफर है,
जो तुम नहीं यहाँ पर सब कुछ भी कुछ नहीं है
अब तो ये तमन्ना बाँहों में तेरी गुजरे
बस ये जान लो तुम कि बहुत ख़ास हो तुम ।
मेरे नूर में भी तुम हो जुस्तुजू में भी हो तुम ,
हर मोड़ पर तुम ही हो मेरा ऐतबार हो तुम
चाहत हमारी है अब हमारी उम्र यू ही गुजरे
बेहिसाब मौहब्बत कि एक मिसाल हो तुम ।
यू तो ज़माने ने गम भी बहुत दिए है
पर साथ में हो तुम तो गम चीज कुछ नहीं है
अब तो हमें किसी की परवाह नहीं
मेरे अनकहे पन्नों से बनी एक किताब हो तुम
अजब गज़ब सी बातें करते हो तुम,
मुझको उड़ान देकर क्यूँ हँसते हो तुम ।
-स्वेच्छा कुलश्रेष्ठा