नज़र जब ढूँढने निकली तो छूकर आसमाँ आई

Hindi Gaurav :: 30 Sep 2020 Last Updated : Printemail

Image may contain: one or more people and people sittingनज़र जब ढूँढने निकली तो छूकर आसमाँ आई
छिपा था तू जहाँ लेकिन वहाँ तक ये कहाँ आई

लुटाते थे मुहब्बत में,जो हमपे दिल की धड़कन को
ना जाने क्या हुआ उनको जो नफ़रत दरमियाँ आई

मैं तन्हा थी अकेली थी मगर फिर भी मुक्कमल थी
जमाने से मिली जब से मुसीबत में ये जाँ आई

छिपा के दिल में रक्खा था जो तेरी याद का मोती
मैं अब सीपी सी खाली हूँ जो मोती था गवाँ आई

मैं भटकी हूँ कभी जब उलझनों के घोर जंगल में
मुझे तब तब सही इक राह दिखलाने को माँ आई

Dr.Bhawna Kunwar

Sydney 

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