सिडनी – प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज की सरकार द्वारा प्रस्तावित नई सुपरएन्यूएशन टैक्स नीति को लेकर देशभर में चर्चा तेज हो गई है। कोषाध्यक्ष जिम चालमर्स के नेतृत्व में पेश किए गए इस बदलाव का लक्ष्य अमीर रिटायरमेंट खातों पर टैक्स बढ़ाना है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में इसका असर आम नागरिकों तक भी पहुँच सकता है।
क्या है यह नया टैक्स बदलाव?
यह प्रस्ताव उन लोगों पर लागू होगा जिनके सुपरएन्यूएशन बैलेंस $3 मिलियन (30 लाख ऑस्ट्रेलियाई डॉलर) से अधिक है। वर्तमान में यह बदलाव केवल प्रत्येक 200 में से एक टैक्सपेयर को प्रभावित करता है, लेकिन सरकार के आर्थिक अनुमानों के अनुसार, भविष्य में यह दायरा बढ़ सकता है क्योंकि अधिक लोग रिटायरमेंट सेविंग्स में निवेश कर रहे हैं।
प्रमुख बिंदु:
वर्तमान टैक्स दर: अभी सुपर फंड से अर्जित आय पर 15% टैक्स लगता है।
नया प्रस्ताव: $3 मिलियन से ऊपर के बैलेंस पर 30% टैक्स लगेगा।
प्रभाव: अभी केवल 80,000 लोगों को इसका असर होगा, लेकिन सुपर फंड ग्रोथ को देखते हुए यह संख्या बढ़ सकती है।
सरकार की दलील:
कोषाध्यक्ष जिम चालमर्स ने कहा कि यह बदलाव ‘संतुलन’ लाने के लिए है और इसका उद्देश्य बजट पर बढ़ते दबाव को कम करना है। "हम एक स्थायी और निष्पक्ष सुपर प्रणाली बनाना चाहते हैं," उन्होंने कहा।
विपक्ष की प्रतिक्रिया:
विपक्ष ने इस प्रस्ताव को "छिपा हुआ टैक्स हमला" करार दिया है और कहा है कि यह एक खतरनाक मिसाल कायम कर सकता है। लिबरल पार्टी के नेताओं ने यह भी चेतावनी दी है कि भविष्य में सरकार टैक्स सीमा को और घटा सकती है।
आप पर इसका क्या असर पड़ेगा?
यदि आपके सुपरएन्यूएशन खाते में $3 मिलियन से कम हैं, तो आपको अभी चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।
यदि आप युवा हैं और लंबे समय तक काम करने की योजना में हैं, तो भविष्य में यह सीमा आपको भी प्रभावित कर सकती है।
यह बदलाव 2025 से प्रभावी हो सकता है, इसलिए कर योजना बनाते समय इसे ध्यान में रखना जरूरी है।
निष्कर्ष:
लेबर सरकार की यह नई नीति अमीर रिटायरमेंट धारकों को लक्षित कर रही है, लेकिन इससे जुड़ी बहस अब हर आम ऑस्ट्रेलियाई तक पहुँचने लगी है। आने वाले चुनावों में यह मुद्दा सरकार के लिए एक बड़ी परीक्षा साबित हो सकता है।