आयरलैंड के शर्मनाक इतिहास का खुलासा: 796 बच्चों के शव सेप्टिक टैंक में पाए गए, नन चलाते थे 'मदर एंड बेबी होम'

आयरलैंड के शर्मनाक इतिहास का खुलासा: 796 बच्चों के शव सेप्टिक टैंक में पाए गए, नन चलाते थे 'मदर एंड बेबी होम'

एक शांत हरे मैदान के नीचे छिपा था एक ऐसा काला सच, जिसने पूरे आयरलैंड को झकझोर कर रख दिया है। यह स्थान किसी समय "मदर एंड बेबी होम" नामक संस्था का हिस्सा था, जिसे कैथोलिक चर्च से जुड़ी Bon Secours नामक ननों की संस्था संचालित करती थी। अब उसी स्थान पर 796 नवजात और छोटे बच्चों के अवशेष एक सेप्टिक टैंक में पाए गए हैं।

स्थानीय इतिहासकार कैथरीन कॉर्लेस ने जब 2014 में इस रहस्य की तह तक पहुंचते हुए यह चौंकाने वाला तथ्य उजागर किया, तो सरकार को मजबूर होकर जांच आयोग बनाना पड़ा। कॉर्लेस ने बताया, “इन बच्चों के कोई कब्रिस्तान, रिकॉर्ड, या क्रॉस तक नहीं हैं – जैसे इनका जीवन कभी था ही नहीं।”

यह संस्था 1925 से 1961 तक आयरलैंड के पश्चिमी हिस्से तूम (Tuam) में संचालित हुई और 1972 में ध्वस्त कर दी गई। लेकिन अब यह जमीन एक बार फिर सुर्खियों में है क्योंकि 2022 में पारित एक विशेष कानून के बाद यहां掘ाई शुरू हो रही है।

बच्चों को नर्क से भी बदतर हालात में रखा गया

जांच में सामने आया कि जिन बच्चों की माताएं विवाह से पहले गर्भवती हो गई थीं, उन्हें समाज, चर्च और सरकार – तीनों ने इन संस्थानों में धकेल दिया। वहां उनके बच्चों को जन्म के कुछ समय बाद अलग कर दिया जाता, कई बच्चों की मौत हो गई और उन्हें गुप्त रूप से सेप्टिक टैंक में डाल दिया गया।

2021 में जारी आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, आयरलैंड के ऐसे 18 संस्थानों में 56,000 महिलाएं और 57,000 बच्चे दाखिल हुए, जिनमें से करीब 9,000 बच्चों की मौत हो गई थी।

“ईसाई संस्कार से दफन तक नहीं किया गया”

कॉर्लेस का कहना है, “ये सभी बच्चे बपतिस्मा (बप्टिज्म) ले चुके थे, फिर भी चर्च ने उन्हें त्याग दिया – सिर्फ इसलिए कि वे 'अवैध' माने गए। मैं सिर्फ इतना कह रही थी कि इन बच्चों को इस नाली से निकालकर उन्हें एक सम्मानजनक ईसाई अंतिम संस्कार दिया जाए।”

चर्च और सरकार की मिलीभगत?

जांच में यह भी सामने आया कि कई संस्थान स्थानीय स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित थे, लेकिन अधिकांश चर्च से जुड़ी संस्थाओं द्वारा ही चलाए जाते थे। Bon Secours जैसे नन आदेशों की भूमिका पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं।

यह पूरा मामला केवल एक संस्थान तक सीमित नहीं है – यह आयरलैंड के उस दौर की त्रासदी का प्रतीक बन चुका है जब ‘अवैध’ माने गए बच्चों और उनकी माताओं को इंसान नहीं समझा गया।