कनाडा/सिडनी | 17 जून 2025
G7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने कनाडा पहुँचे ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ को एक कड़वा अनुभव मिला। इस सम्मेलन को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनके संबंधों को मजबूत करने का मौका माना जा रहा था, लेकिन ट्रंप के रवैये ने ऑस्ट्रेलिया की विदेश नीति की सीमाओं को उजागर कर दिया।
समिट से महज कुछ घंटे पहले ही ट्रंप बिना अल्बनीज़ से मिले सम्मेलन छोड़कर चले गए। इससे यह स्पष्ट संदेश गया कि ट्रंप की प्राथमिकताओं में ऑस्ट्रेलिया फिलहाल शामिल नहीं है, भले ही ऑस्ट्रेलिया खुद को एक ‘मध्यम शक्ति’ और वैश्विक मंच पर जिम्मेदार भागीदार मानता हो।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना ऑस्ट्रेलिया के लिए एक ‘रियलिटी चेक’ है। विदेश नीति मामलों के जानकार प्रोफेसर ग्रेग शर्ले के मुताबिक, "ऑस्ट्रेलिया भले ही खुद को इंडो-पैसिफिक में प्रभावशाली मानता है, लेकिन अमेरिकी सत्ता की सोच इससे कहीं ज्यादा व्यावहारिक और रणनीतिक है। ट्रंप के लिए अमेरिका फर्स्ट ही सर्वोपरि है।"
कनाडा में हुए इस G7 सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन, वैश्विक अर्थव्यवस्था और मध्य पूर्व संकट जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई, लेकिन ऑस्ट्रेलिया की सक्रियता के बावजूद उसे अमेरिकी नेतृत्व से संवाद का अवसर नहीं मिला।
प्रधानमंत्री अल्बनीज़ ने ट्रंप से मुलाकात को लेकर पहले उम्मीद जताई थी, लेकिन व्हाइट हाउस और ट्रंप कैंप की ओर से कोई ठोस पहल नहीं की गई। कुछ विश्लेषकों का यह भी मानना है कि ट्रंप द्वारा ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री को नज़रअंदाज़ करना आने वाले चुनावी समीकरणों और अमेरिकी विदेश नीति के बदलते मिजाज़ का संकेत हो सकता है।
अब देखना यह है कि अल्बनीज़ सरकार इस अपमानजनक अनदेखी के बाद ऑस्ट्रेलिया की विदेश नीति में क्या नया रुख अपनाती है।