45 साल पहले जन्मा था स्टेट ऑफ़ ओरिजिन, पर 'ब्लूज़' खिलाड़ी रह गए गुमनाम

45 साल पहले जन्मा था स्टेट ऑफ़ ओरिजिन, पर 'ब्लूज़' खिलाड़ी रह गए गुमनाम

स्टेट ऑफ़ ओरिजिन का जन्म: जब ‘ब्लूज़’ नायकों को भुला दिया गया
1979 से पहले की पारंपरिक प्रतिद्वंद्विता को एक नई पहचान दी गई थी

आज से ठीक 45 साल पहले, रग्बी लीग में इतिहास रचा गया था। 1980 में पहली बार ‘स्टेट ऑफ़ ओरिजिन’ मुकाबला खेला गया, जिसने ऑस्ट्रेलियाई खेल संस्कृति में एक नई लहर पैदा की। यह मैच केवल खेल नहीं था, यह राज्यों की प्रतिष्ठा और आत्मसम्मान की लड़ाई बन गया। हालांकि, इस ऐतिहासिक यात्रा में ‘क्वींसलैंड’ के कप्तान आर्थर बीटसन और उनके मारून्स खिलाड़ियों को तो अक्सर याद किया जाता है, लेकिन उस मैच में हिस्सा लेने वाले न्यू साउथ वेल्स (NSW) यानी ‘ब्लूज़’ के खिलाड़ियों को जैसे भुला दिया गया हो।

कौन थे वो गुमनाम ब्लूज़ खिलाड़ी?
उस ऐतिहासिक पहले ओरिजिन मैच में खेलने वाले कई NSW खिलाड़ी जैसे मिक क्रोनिन, स्टीव मॉर्टिमर, जॉन डोरेल और बॉब फुल्टन ने शानदार प्रदर्शन किया था। लेकिन बीटसन के भावनात्मक और प्रेरणात्मक नेतृत्व ने सभी सुर्खियाँ क्वींसलैंड की झोली में डाल दीं। उस रात मारून्स ने जीत दर्ज की और एक नई परंपरा की नींव रखी गई — लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि ‘ब्लूज़’ की कोशिशें और संघर्ष इतिहास के पन्नों में पीछे छूट गए।

राजनीति और पहचान की लड़ाई
उस दौर में अधिकांश टॉप खिलाड़ी सिडनी क्लब्स से आते थे और क्वींसलैंड के प्रतिभाशाली खिलाड़ी बेहतर अवसरों के लिए NSW क्लब्स का रुख करते थे। यही कारण था कि क्वींसलैंड को पारंपरिक मैचों में कमतर माना जाता था। ओरिजिन ने खिलाड़ियों को उनके राज्य के प्रति निष्ठा के आधार पर खेलने का मंच दिया, जिससे खेल का रोमांच और गरिमा कई गुना बढ़ गई।

ब्लूज़ की विरासत को भी मिले सम्मान
आज जब हम हर साल ‘स्टेट ऑफ़ ओरिजिन’ को राष्ट्रीय उत्सव की तरह मनाते हैं, तो यह जरूरी है कि पहले मैच के सभी खिलाड़ियों को समान रूप से सम्मानित किया जाए। बीटसन और मारून्स की वीरता बेशक प्रेरणास्पद है, लेकिन ब्लूज़ खिलाड़ियों की प्रतिबद्धता, खेल भावना और पेशेवर उत्कृष्टता को अनदेखा करना इतिहास के साथ अन्याय है।

अब वक्त है कि हम उस ओरिजिनल ब्लूज़ टीम को भी याद करें, जिन्होंने बिना किसी पृष्ठभूमि के, पूरे गर्व और जुनून के साथ मैदान में कदम रखा था।