जीएसटी विवाद पर घमासान: पीएम से हस्तक्षेप की मांग

सभी राज्यों में शराब कानूनों की समीक्षा, घरेलू हिंसा संकट से निपटने के लिए राष्ट्रीय कैबिनेट की पहल

जीएसटी विवाद पर घमासान: पीएम से हस्तक्षेप की मांग

सिडनी। प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ से न्यू साउथ वेल्स और विक्टोरिया की सरकारों समेत आर्थिक विशेषज्ञों ने जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) व्यवस्था में "भेदभावपूर्ण वितरण" को लेकर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। यह मुद्दा उस समय और गंभीर हो गया जब यह सामने आया कि पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया (WA) को दी गई विशेष जीएसटी डील अब संघीय बजट पर राष्ट्रीय विकलांगता बीमा योजना (NDIS) के बाद सबसे बड़ा बोझ बन चुकी है।

पूर्व प्रधानमंत्रियों मैल्कम टर्नबुल और स्कॉट मॉरिसन के कार्यकाल में WA के लिए बनाई गई यह विशेष योजना अब अन्य राज्यों के लिए एक "अर्थिक अन्याय" का प्रतीक बन चुकी है। NSW के कोषाध्यक्ष डैनियल मूक्ही ने तीखा सवाल उठाते हुए कहा, "वो रात को चैन की नींद कैसे सोते हैं जब जानते हैं कि उनका बजट दूसरों के साथ अन्याय कर रहा है?" उन्होंने इस डील को असंवैधानिक और संघीय व्यवस्था के मूल्यों के खिलाफ बताया।

घरेलू हिंसा संकट और शराब कानूनों की समीक्षा

राष्ट्रीय कैबिनेट की हालिया बैठक में सभी राज्यों और क्षेत्रों ने घरेलू हिंसा की गंभीर समस्या से निपटने के लिए शराब बिक्री और सेवन से संबंधित अपने-अपने कानूनों की समीक्षा करने का निर्णय लिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि शराब का सीधा संबंध घरेलू हिंसा की घटनाओं से है, और इन नियमों में सुधार आवश्यक है।

जीएसटी विवाद: क्या बदल सकता है समीकरण?

GST के वर्तमान फॉर्मूले के कारण NSW और विक्टोरिया को अरबों डॉलर का घाटा उठाना पड़ रहा है, जबकि WA को स्थायी लाभ दिया जा रहा है। फेडरल कोषाध्यक्ष जिम चालमर्स पर दबाव है कि वह इस व्यवस्था की समीक्षा कर सभी राज्यों को न्यायसंगत हिस्सेदारी सुनिश्चित करें। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह मुद्दा जल्द नहीं सुलझाया गया, तो यह संघीय सरकार और राज्यों के बीच एक बड़े टकराव का कारण बन सकता है।

निष्कर्ष:

GST वितरण को लेकर असंतोष लगातार बढ़ता जा रहा है। जहां एक ओर राष्ट्रीय कैबिनेट घरेलू हिंसा जैसे सामाजिक संकट से निपटने की रणनीति पर काम कर रही है, वहीं दूसरी ओर राज्यों में वितीय असंतुलन संघीय व्यवस्था की नींव को हिला रहा है। अब देखना यह होगा कि प्रधानमंत्री अल्बानीज़ इस दोहरे संकट से कैसे निपटते हैं।