तेहरान/वॉशिंगटन/जेरूसलम:
ईरान का फ़ोर्डो न्यूक्लियर प्लांट एक बार फिर वैश्विक सुरक्षा विमर्श का केंद्र बन गया है। यह अत्याधुनिक परमाणु सुविधा क़ोम शहर के पास एक पर्वतीय क्षेत्र में स्थित है और लगभग 300 फीट (करीब 90 मीटर) गहराई में छुपी हुई है। इसकी निर्माण संरचना ऐसी है कि इसे पारंपरिक बमबारी से नष्ट करना लगभग नामुमकिन है।
13 जून 2025 को इज़राइली लड़ाकू विमानों ने ईरान के कई परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया, जिनमें फ़ोर्डो भी शामिल था। हालांकि, ईरानी परमाणु ऊर्जा संगठन ने पुष्टि की कि फ़ोर्डो में "सीमित नुकसान" हुआ है और प्लांट का मुख्य संवर्धन क्षेत्र पूरी तरह सुरक्षित है। बताया गया कि महत्वपूर्ण उपकरण पहले ही स्थानांतरित कर दिए गए थे।
फ़ोर्डो जैसी गहराई और मजबूती वाली साइट को केवल अमेरिका के पास मौजूद GBU-57A/B ‘MOP’ बम से ही नष्ट किया जा सकता है। यह बंकर-बस्टर बम 13,600 किलो वजनी है और लगभग 60 मीटर गहराई तक घुसकर विस्फोट कर सकता है। इसे सिर्फ B-2 स्पिरिट जैसे स्टील्थ बमवर्षक ही ले जा सकते हैं – और ये क्षमता केवल अमेरिका के पास है, इज़राइल के पास नहीं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में ईरान को "बिना शर्त आत्मसमर्पण" की चेतावनी दी और कहा कि अमेरिका के पास ईरान की भूमिगत साइट्स को नष्ट करने की पूरी क्षमता है। अमेरिकी सेना ने B-2 विमान, टैंकर और हथियारों को मध्य पूर्व में सक्रिय तैनाती दी है, जिससे सैन्य हस्तक्षेप की अटकलें तेज़ हो गई हैं।
हालांकि अब तक अमेरिका ने फ़ोर्डो पर किसी सीधे हमले की पुष्टि नहीं की है, लेकिन सैन्य तैयारियों और डोनाल्ड ट्रंप के आक्रामक बयान इस दिशा में संभावनाओं को बल दे रहे हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि अमेरिका हस्तक्षेप करता है, तो यह केवल MOP जैसे शक्तिशाली हथियारों से संभव होगा।
फ़ोर्डो पर संभावित अमेरिकी हमला ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गंभीर रूप से बाधित कर सकता है, लेकिन इसके व्यापक प्रभाव होंगे। मध्य पूर्व में अस्थिरता, तेल आपूर्ति श्रृंखला पर असर, और ईरान समर्थित संगठनों की प्रतिक्रिया की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता।
फ़ोर्डो न केवल ईरान का सबसे सुरक्षित न्यूक्लियर बेस है, बल्कि वैश्विक सामरिक संतुलन का भी केंद्र बन चुका है। यदि अमेरिका ने इसे निशाना बनाया, तो यह एक नया भू-राजनीतिक अध्याय खोल सकता है – जिसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा।