कैनबरा:
सरकार ने वृद्ध देखभाल (aged-care) क्षेत्र से जुड़ी अपनी विवादित तरलता (liquidity) नियमों में चुपचाप संशोधन कर दिए हैं। यह कदम तब उठाया गया जब प्रमुख निकायों और संगठनों ने चेतावनी दी कि इन नियमों के कारण अनेक वृद्ध देखभाल संस्थानों की वित्तीय स्थिरता खतरे में पड़ सकती है।
नवीन नियमों के तहत, वृद्ध देखभाल सेवा प्रदाताओं को करोड़ों डॉलर की राशि नकद के रूप में सुरक्षित रखनी पड़ती, जिससे उनके संचालन पर गंभीर प्रभाव पड़ता। आलोचकों का कहना था कि यह नियम ग्रामीण, गैर-लाभकारी और छोटे सेवा प्रदाताओं के लिए भारी आर्थिक बोझ बन जाएगा, जिससे सेवा की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती थी।
Aged and Community Care Providers Association (ACCPA) सहित कई संगठनों ने इन नियमों के खिलाफ सख्त आपत्ति जताई थी। ACCPA ने चेताया था कि इन अनिवार्य नकद भंडारों के चलते कई संगठन या तो सेवाएं सीमित कर देंगे या बाजार से बाहर हो सकते हैं।
सरकार ने अब यह स्पष्ट किया है कि नियमों में आवश्यकतानुसार लचीलापन रखा जाएगा, ताकि विभिन्न आकार और प्रकृति के सेवा प्रदाताओं को राहत मिल सके। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वे अब एक "जोखिम-आधारित" दृष्टिकोण अपनाएंगे, जो यह सुनिश्चित करेगा कि आवश्यक नकदी भंडार की मांग संस्था की वित्तीय स्थिति और जोखिम प्रोफाइल के अनुसार हो।
विशेषज्ञों और उद्योग से जुड़े लोगों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि वृद्ध देखभाल क्षेत्र को लेकर दीर्घकालिक वित्तीय रणनीति आवश्यक है, जिससे भविष्य में ऐसे संकटों से बचा जा सके।
निष्कर्ष:
सरकार के इस संशोधित रुख से वृद्ध देखभाल क्षेत्र को कुछ राहत मिली है, लेकिन यह स्पष्ट है कि इस संवेदनशील सेवा क्षेत्र के लिए संतुलित और व्यवहारिक नीतियों की आवश्यकता लगातार बनी हुई है।