प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ ने स्पष्ट कर दिया है कि ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ (EU) के बीच लंबे समय से प्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर जी7 शिखर सम्मेलन में कोई अंतिम समझौता नहीं होगा।
हालांकि यूरोपीय बाज़ारों में बेहतर पहुंच के लिए ऑस्ट्रेलिया प्रयासरत है, लेकिन अल्बनीज़ ने कहा कि अगर समझौता ऑस्ट्रेलिया के “राष्ट्रीय हित” में नहीं होगा, तो वे बातचीत से पीछे हटने में संकोच नहीं करेंगे।
नामकरण और आयात कोटा बना बाधा
इस समझौते में प्रमुख अड़चनें बनी हुई हैं – जैसे कि यूरोपीय "जियोग्राफिकल इंडिकेशन" नियम, जिनके तहत ऑस्ट्रेलियाई उत्पादक फेटा, पार्मेसन, और प्रोसेको जैसे नामों का उपयोग नहीं कर सकते। इसके अलावा गोमांस, भेड़ के मांस, डेयरी उत्पाद और चीनी पर यूरोपीय आयात कोटा भी बेहद सीमित हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, “नामों को लेकर सकारात्मक बातचीत हुई है, लेकिन सबसे बड़ा मुद्दा गोमांस और भेड़ के मांस को लेकर है, जहां हमें यूरोपीय बाज़ारों तक उचित पहुंच नहीं मिल पा रही है।”
2023 की असफलता से मिली सीख
पिछले साल भी इसी मुद्दे पर बातचीत रुक गई थी। अल्बनीज़ ने कहा, “हम पहले भी बातचीत से पीछे हट चुके हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि हम केवल अपने हित में ही समझौता करेंगे।”
ईयू नेताओं से होगी बैठक
पीएम अल्बनीज़ की आगामी बैठक यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा के साथ बुधवार सुबह (AEST) को होगी। संभावना है कि सुश्री वॉन डेर लेयेन आगामी महीनों में ऑस्ट्रेलिया का दौरा करेंगी, जिसे सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
सरकार में आशा, विपक्ष की सख्त रुख की मांग
व्यापार मंत्री डॉन फैरेल ने हाल में यूरोप में हुई बैठकों के बाद उम्मीद जताई कि “अब दोनों पक्षों में समझौते की भावना है।” उन्होंने कहा, “हम यूरोप को बहुत कुछ बेच सकते हैं, और मुझे पूरा विश्वास है कि थोड़े प्रयास और समय से हम एक सफल समझौते तक पहुँच सकते हैं।”
वहीं विपक्ष के व्यापार प्रवक्ता केविन होगन ने सरकार से “कड़ा रुख” अपनाने की मांग की, खासकर प्रोसेको और फेटा जैसे उत्पादों पर नामकरण प्रतिबंधों को लेकर।
निष्कर्ष
हालांकि फिलहाल किसी अंतिम समझौते की संभावना नहीं है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ के बीच सकारात्मक बातचीत का संकेत मिला है। प्रधानमंत्री का स्पष्ट संदेश है – समझौता तभी होगा जब वह देशहित में होगा।