अमेरिका की मैनहैटन स्थित कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विवादास्पद 'लिबरेशन डे' टैरिफ प्रस्तावों पर रोक लगा दी है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि राष्ट्रपति का यह कदम अमेरिकी संविधान और इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) की सीमाओं से बाहर है।
ट्रंप प्रशासन ने तर्क दिया था कि ये टैरिफ वैश्विक व्यापार घाटे और सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए ज़रूरी हैं, और इनका इस्तेमाल हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष में शांति स्थापित करने के लिए भी किया गया। प्रशासन का कहना था कि अप्रैल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान-आधारित आतंकियों के हमले के बाद, राष्ट्रपति ट्रंप ने टैरिफ नीति के ज़रिए दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच संघर्ष को रोकने में भूमिका निभाई।
हालांकि, अदालत ने इन सभी तर्कों को सिरे से खारिज करते हुए कहा, "अमेरिकी संविधान के तहत विदेशी व्यापार को विनियमित करने का विशेष अधिकार कांग्रेस को है। IEEPA के अंतर्गत राष्ट्रपति को दी गई शक्तियाँ अनंत नहीं हैं और उनका दुरुपयोग संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।"
न्यायालय का निष्कर्ष
तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि “टैरिफ लगाने की असीमित शक्ति देना विधायी अधिकारों को कार्यपालिका को सौंपना होगा, जो असंवैधानिक है।” न्यायालय ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति की ओर से टैरिफ को कूटनीतिक हथियार के रूप में उपयोग करना 'अनुचित' इसलिए नहीं है क्योंकि यह प्रभावी नहीं है, बल्कि इसलिए कि कानून इसकी अनुमति नहीं देता।
ट्रंप टैरिफ और व्यापारिक झगड़े
2 अप्रैल को ट्रंप ने अमेरिका के प्रमुख व्यापारिक साझेदार देशों पर 10% का मूल टैरिफ और अधिक व्यापार घाटे वाले देशों पर अधिक दर से टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। इस कदम से अमेरिकी शेयर बाजारों में भारी गिरावट आई थी, जिसके बाद कुछ टैरिफ अस्थायी रूप से निलंबित कर दिए गए थे।
12 मई को प्रशासन ने चीन पर सबसे ऊंचे टैरिफ में अस्थायी कटौती करने का फैसला किया, और 90 दिनों के लिए एक-दूसरे पर टैरिफ घटाने की सहमति बनी।
मामले और अपील
यह फैसला दो मुकदमों पर आया – एक लिबर्टी जस्टिस सेंटर ने छोटे व्यापारियों की ओर से और दूसरा 13 अमेरिकी राज्यों ने मिलकर दायर किया था। इन व्यवसायों का कहना है कि टैरिफ से उनके व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
फैसले के बाद ट्रंप प्रशासन ने तुरंत अपील दायर करने की घोषणा की। इस मुद्दे पर कम से कम पांच अन्य कानूनी चुनौतियाँ अमेरिकी अदालतों में लंबित हैं।
निष्कर्ष
यह निर्णय राष्ट्रपति के आर्थिक आपातकालीन अधिकारों की सीमाओं पर एक महत्वपूर्ण कानूनी उदाहरण पेश करता है। साथ ही यह भी स्पष्ट करता है कि विदेशी व्यापार पर नियंत्रण का संवैधानिक अधिकार अमेरिकी कांग्रेस के पास ही रहेगा, न कि कार्यपालिका के पास।