सिडनी।
ऑस्ट्रेलिया में 37 निजी अस्पतालों का भविष्य खतरे में है, जहां करीब 18,000 कर्मचारी कार्यरत हैं। इन अस्पतालों का संचालन करने वाली कंपनी हेल्थस्कोप (Healthscope) के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। अब इन अस्पतालों को बंद होने से बचाने की लड़ाई तेज़ हो गई है — और कर्मचारियों व समुदाय का एक ही संदेश है: "ये अस्पताल हमारी लाश के ऊपर से ही बंद होंगे।"
हेल्थस्कोप, जो वर्षों से ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं में से एक रही है, पर भारी वित्तीय दबाव है। रियल एस्टेट लागत, श्रम शुल्क, बीमा प्रीमियम और घटते रेवेन्यू के चलते संस्था को अपने कुछ अस्पतालों के संचालन पर पुनर्विचार करना पड़ रहा है।
देशभर के कई राज्यों में हेल्थस्कोप द्वारा संचालित अस्पतालों पर स्थानीय समुदायों की गहरी निर्भरता है। कैंसर उपचार, आपातकालीन सेवाएं, सर्जरी और मातृत्व सेवाएं जैसे महत्वपूर्ण उपचार इन्हीं अस्पतालों में दिए जाते हैं। ऐसे में इनके बंद होने की आशंका से स्वास्थ्यकर्मी और मरीज़ों के परिवार बेहद चिंतित हैं।
राज्यों की सरकारों पर दबाव बढ़ रहा है कि वे इस संकट में हस्तक्षेप करें और किसी भी अस्पताल को बंद न होने दें। कई सांसदों ने इस मुद्दे को संसद में उठाया है और कहा है कि अगर ये अस्पताल बंद हुए तो हजारों नौकरियां चली जाएंगी और स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ टूट जाएगी।
अब सवाल यह है कि क्या हेल्थस्कोप इन अस्पतालों को चालू रखने के लिए कोई रणनीति बना पाएगी? या क्या सरकार और अन्य निजी निवेशक इस संकट को हल करने में सहायता करेंगे?
जो भी हो, ये साफ है कि हेल्थस्कोप की लड़ाई अभी शुरू हुई है और यह केवल एक कॉरपोरेट मामला नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और मानवता की लड़ाई बन चुकी है।