नई दिल्ली/सिलिकॉन वैली: एलन मस्क की स्पेसएक्स द्वारा संचालित इंटरनेट सेवा Starlink जहां एक ओर दुनिया भर के दूरदराज इलाकों में तेज़ इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचा रही है, वहीं अब इसके गलत इस्तेमाल की खबरें भी सामने आ रही हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, स्टारलिंक इंटरनेट टर्मिनल्स का उपयोग अब एक संगठित ठगी उद्योग द्वारा किया जा रहा है, जिससे हर साल अरबों डॉलर की धोखाधड़ी को अंजाम दिया जा रहा है।
दूरदराज़ इलाकों और झुग्गी बस्तियों की छतों पर लगे स्टारलिंक के सफेद एंटेना अब सिर्फ इंटरनेट कनेक्शन का संकेत नहीं हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे कई स्थानों पर ये टर्मिनल्स धोखेबाज कॉल सेंटर्स और साइबर ठगों के लिए "हाई-स्पीड गेटवे" बन चुके हैं। इनका इस्तेमाल कर अपराधी वैश्विक स्तर पर बैंकिंग फ्रॉड, फेक कॉल्स और निवेश धोखाधड़ी जैसे मामलों को अंजाम दे रहे हैं।
सैटेलाइट आधारित नेटवर्क: स्टारलिंक का नेटवर्क पारंपरिक दूरसंचार कंपनियों से स्वतंत्र होता है। इससे इन्टरनेट ट्रेस करना मुश्किल हो जाता है।
तेज़ और स्थिर कनेक्टिविटी: सबसे दूरस्थ और पिछड़े इलाकों में भी हाई-स्पीड इंटरनेट मुहैया कराता है, जो ऑनलाइन ठगी के लिए आदर्श माध्यम बनता है।
सरकारी निगरानी से दूर: कई बार ये टर्मिनल्स बगैर लाइसेंस के भी चलाए जा रहे हैं, जिससे साइबर ठगों को बढ़ावा मिल रहा है।
दुनियाभर में ठगी का यह नेटवर्क फैलता जा रहा है। खासकर अफ्रीका, दक्षिण एशिया और दक्षिण अमेरिका के कई हिस्सों में जहां पारंपरिक इंटरनेट कमजोर है, वहां Starlink धोखाधड़ी का नया हथियार बन चुका है। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां स्टारलिंक की मदद से अंतरराष्ट्रीय कॉल फ्रॉड और डेटा चोरी की गई है।
फिलहाल स्टारलिंक ने इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। वहीं साइबर एक्सपर्ट्स और सरकारें अब सख्त कानूनों की मांग कर रही हैं जिससे इन टर्मिनल्स की निगरानी और वैधता की जांच हो सके।
निष्कर्ष:
जहां एक ओर एलन मस्क की स्टारलिंक ने इंटरनेट क्रांति की एक नई दिशा दिखाई है, वहीं इसके दुरुपयोग ने वैश्विक साइबर अपराध की चिंता बढ़ा दी है। यह जरूरी हो गया है कि तकनीकी नवाचार के साथ-साथ सुरक्षा उपायों को भी मजबूत किया जाए, ताकि यह सुविधा समाज के लिए वरदान बनी रहे, न कि अभिशाप।