नई दिल्ली, 16 अप्रैल 2025 — भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई को अपना उत्तराधिकारी नामित किया है। यह सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी गई है, और परंपरा के अनुसार, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 14 मई को उन्हें देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाएंगी।
जस्टिस गवई का कार्यकाल लगभग छह महीने का होगा, क्योंकि वे 23 नवंबर 2025 को 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होंगे। वे इस पद पर आसीन होने वाले दूसरे दलित न्यायाधीश होंगे; इससे पहले जस्टिस के.जी. बालकृष्णन ने 2007 में यह पद संभाला था।
जन्म: 24 नवंबर 1960, अमरावती, महाराष्ट्र।
कानूनी करियर की शुरुआत: 1985 में वकालत शुरू की; 1987 से बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र प्रैक्टिस।
सरकारी सेवा: 1992 में नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक नियुक्त हुए; 2000 में सरकारी वकील और लोक अभियोजक बने।
न्यायिक नियुक्तियाँ: 2003 में बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश बने; 2005 में स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए।
सुप्रीम कोर्ट: 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए।
वर्तमान पद: महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, नागपुर के कुलाधिपति और राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष हैं।
2019 में अनुच्छेद 370 हटाने के केंद्र सरकार के निर्णय को बरकरार रखने वाले पांच-न्यायाधीशीय पीठ का हिस्सा रहे।
चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करने वाले निर्णय में शामिल रहे।
2016 में ₹500 और ₹1,000 के नोटों के विमुद्रीकरण को वैध ठहराने वाले फैसले में भी उनकी भूमिका रही।
अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण की अनुमति देने वाले सात-न्यायाधीशीय पीठ के सदस्य रहे।
जस्टिस गवई का चयन न केवल न्यायपालिका में वरिष्ठता की परंपरा का पालन करता है, बल्कि यह सामाजिक समावेशिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। उनकी नियुक्ति से न्यायपालिका में विविधता और प्रतिनिधित्व को बढ़ावा मिलेगा।