दक्षिण कोरिया के कार्यवाहक राष्ट्रपति द्वारा नामित संवैधानिक न्यायाधीशों की नियुक्ति पर लगी रोक

दक्षिण कोरिया के कार्यवाहक राष्ट्रपति द्वारा नामित संवैधानिक न्यायाधीशों की नियुक्ति पर लगी रोक

सियोल, 16 अप्रैल (IANS): दक्षिण कोरिया की संवैधानिक अदालत ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय में कार्यवाहक राष्ट्रपति हान डक-सू द्वारा दो संवैधानिक न्यायाधीशों की हालिया नियुक्तियों को निलंबित करने के लिए दायर याचिका को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया। यह निर्णय उस समय आया है जब हान ने केवल आठ दिन पहले दो न्यायाधीशों – सरकार के विधायी मंत्री ली वान-क्यू और सियोल हाईकोर्ट के न्यायाधीश हम सांग-हुन – को सेवानिवृत्त हो रहे न्यायाधीशों के स्थान पर नामित किया था।

अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता कि एक प्रधानमंत्री, जो कार्यवाहक राष्ट्रपति की भूमिका निभा रहा हो, उसे संवैधानिक न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करने का अधिकार है या नहीं। साथ ही अदालत ने चेतावनी दी कि यदि नियुक्तियों की अनुमति दी गई और बाद में याचिका स्वीकार कर ली गई, तो इससे न्यायालय के निर्णयों की वैधता पर प्रश्न उठ सकते हैं और संवैधानिक व्यवस्था में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

यह रोक तब तक लागू रहेगी जब तक अदालत यह तय नहीं कर लेती कि क्या कार्यवाहक राष्ट्रपति को वास्तव में संवैधानिक न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करने का अधिकार है।

हान डक-सू की यह कार्रवाई कानूनी और राजनीतिक क्षेत्रों में विवाद का विषय बन गई है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने अपनी संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन किया है।

गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति यून सुक-योल को दिसंबर में मार्शल लॉ की असफल कोशिश के कारण नेशनल असेंबली ने महाभियोग के तहत हटा दिया था, जिसके बाद हान डक-सू कार्यवाहक राष्ट्रपति बने। हालांकि कुछ ही दिनों बाद उन्हें भी महाभियोग का सामना करना पड़ा, लेकिन मार्च में संवैधानिक अदालत ने हान का महाभियोग खारिज कर उन्हें फिर से कार्यवाहक राष्ट्रपति पद पर बहाल कर दिया।

इस बीच, राष्ट्रपति पद की दौड़ को लेकर चल रही अटकलों के बीच सत्तारूढ़ पीपल पावर पार्टी (PPP) ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि हान डक-सू आगामी 3 जून को होने वाले राष्ट्रपति पद के प्राथमिक चुनाव में भाग नहीं लेंगे। पार्टी के फ्लोर लीडर क्वोन सेओंग-डोंग ने कहा, “हान की उम्मीदवारी को लेकर अटकलें लगाना न तो जनता की रुचि के लिए उचित है और न ही उनके कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कर्तव्यों के निष्पादन में सहायक।”

अब सभी की नजर संवैधानिक अदालत के अंतिम निर्णय पर टिकी है, जो तय करेगा कि दक्षिण कोरिया के संवैधानिक ढांचे में कार्यवाहक राष्ट्रपति की भूमिका और सीमाएं क्या हैं।