बीजिंग, 7 अप्रैल 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हाल ही में घोषित "रेसिप्रोकल टैरिफ" ने चीनी अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव डाला है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इन टैरिफ के परिणामस्वरूप चीन की जीडीपी में 2% तक की गिरावट हो सकती है।
ट्रंप प्रशासन ने सभी देशों पर 10% का बेसलाइन टैरिफ लगाया है, जबकि चीन से आयातित वस्तुओं पर अतिरिक्त 34% शुल्क लगाया गया है, जिससे कुल टैरिफ दर लगभग 65% हो गई है। इस कदम के जवाब में, चीन ने अमेरिकी आयात पर 34% का प्रतिशोधी टैरिफ लगाया है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार तनाव बढ़ गया है।
इन टैरिफ्स के प्रभाव से वैश्विक शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी गई है। हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स 13% से अधिक गिरा, जो 1997 के बाद सबसे बड़ी गिरावट है, जबकि शंघाई कंपोजिट इंडेक्स में लगभग 7% की कमी आई है।
चीनी व्यापारियों और निर्माताओं के लिए यह स्थिति अत्यंत चुनौतीपूर्ण है। यिवू इंटरनेशनल ट्रेड सिटी के व्यापारियों ने चिंता व्यक्त की है कि अमेरिकी बाजार तक पहुंच में बाधा आने से उनके व्यवसायों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इन टैरिफ्स के कारण वैश्विक आर्थिक मंदी का खतरा बढ़ गया है। जेपी मॉर्गन ने अमेरिकी मंदी की संभावना को 60% तक बढ़ा दिया है, जबकि गोल्डमैन सैक्स ने भी अपनी मंदी की संभावना बढ़ाई है।
विश्लेषकों का कहना है कि इन टैरिफ्स के परिणामस्वरूप अमेरिकी उपभोक्ताओं को भी उच्च कीमतों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे मुद्रास्फीति और आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
इस व्यापार युद्ध के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ने की संभावना है, और विशेषज्ञों का सुझाव है कि दोनों देशों को वार्ता के माध्यम से समाधान खोजने की आवश्यकता है ताकि आर्थिक स्थिरता बनी रहे।