भारत के सर्वोच्च न्यायालय को नया प्रधान न्यायाधीश मिल गया है। न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने आज देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India - CJI) के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक सादे लेकिन गरिमामय समारोह में शपथ दिलाई।
जस्टिस गवई देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं। उनसे पहले जस्टिस के.जी. बालकृष्णन ने यह पद संभाला था। जस्टिस गवई का कार्यकाल करीब छह महीने का होगा। वे 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे।
जस्टिस बी.आर. गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के एक दलित परिवार में हुआ था। उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और 1985 में वकालत शुरू की। वे बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश, फिर महाराष्ट्र के एडवोकेट जनरल रहे और 2019 में सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त हुए।
जस्टिस गवई ने अपने न्यायिक करियर में सामाजिक न्याय, मानवाधिकार और संविधान की मूल भावना को प्राथमिकता दी है। वे सुप्रीम कोर्ट की कई महत्वपूर्ण पीठों का हिस्सा रह चुके हैं और उनके फैसलों को न्यायिक दृष्टिकोण से व्यापक सराहना मिली है।
प्रधान न्यायाधीश के रूप में उनकी नियुक्ति न केवल न्यायपालिका में सामाजिक विविधता को बल देती है, बल्कि यह भारत की संवैधानिक समावेशिता का प्रतीक भी है।
अपेक्षा की जा रही है कि जस्टिस गवई अपने कार्यकाल में न्यायिक सुधारों को गति देंगे, लंबित मामलों के निपटारे में तेजी लाएंगे और न्यायिक पारदर्शिता व जवाबदेही को मजबूत करेंगे।