जापान में महंगाई ने एक और खतरनाक मोड़ ले लिया है। देश की सबसे महत्वपूर्ण खाद्य सामग्री — चावल — की कीमतों में 90 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी ने जनता और सरकार दोनों की नींद उड़ा दी है।
अप्रैल महीने में जारी हुए आंकड़ों के अनुसार, चावल की कीमतें 98.4 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं, जो कि पिछले दो वर्षों में सबसे ज्यादा उछाल है। इसने कोर महंगाई दर को भी 3.5 प्रतिशत तक पहुंचा दिया है, जो जनवरी 2023 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है।
जापान की रसोई में कोहराम:
चावल जापानी भोजन का केंद्र है और इसकी कीमतों में इस कदर उछाल आने से आम नागरिकों की जेब पर भारी असर पड़ा है। कई परिवार अब दैनिक आवश्यकता की इस वस्तु को खरीदने में भी कठिनाई महसूस कर रहे हैं।
क्यों बढ़ी कीमतें?
गर्मी और खराब फसल: 2023 में असामान्य गर्मी के कारण चावल की पैदावार में गिरावट आई।
‘मेगाक्वेक’ की चेतावनी: एक संभावित भूकंप की अफवाह से लोगों ने चावल की जमाखोरी शुरू कर दी।
पर्यटकों की भीड़: रिकॉर्ड संख्या में आए पर्यटकों ने घरेलू खपत को और बढ़ा दिया।
व्यापारियों की जमाखोरी: कुछ विक्रेताओं द्वारा जानबूझकर स्टॉक रोकने की खबरें सामने आई हैं।
सरकारी हस्तक्षेप और राजनीतिक दबाव:
सरकार ने 1995 में बनाए गए आपातकालीन चावल भंडार को पहली बार इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। इसके तहत पिछले महीने से नीलामी के ज़रिए चावल बाजार में उतारा गया है।
प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा पहले से ही चुनावी दबाव में हैं और यह महंगाई संकट उनकी सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती बनता जा रहा है। एक मंत्री को चावल पर की गई विवादास्पद टिप्पणी के चलते इस्तीफा देना पड़ा, जिससे सरकार की लोकप्रियता और भी प्रभावित हुई है।
बचाव की राह?
बढ़ती महंगाई और अनिश्चित वैश्विक बाजारों के बीच जापान का केंद्रीय बैंक अब अगली ब्याज दर वृद्धि की तैयारी कर रहा है। देश में आत्मनिर्भरता की ओर रुझान भी तेज हुआ है — कई लोग अब घर पर ही सब्जियां उगाकर खर्च कम करने की कोशिश कर रहे हैं।
निष्कर्ष:
चावल की कीमतों में 90 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी सिर्फ एक आर्थिक संकट नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक अशांति का कारण बनती जा रही है। यदि हालात नहीं सुधरे, तो यह मुद्दा आगामी चुनावों में निर्णायक साबित हो सकता है।