महिला कर्मचारियों पर असर: वर्कर्स कानूनों के खिलाफ असामान्य गठबंधन

लिबरल सांसद और यूनियनें एक साथ आईं विरोध में

महिला कर्मचारियों पर असर: वर्कर्स कानूनों के खिलाफ असामान्य गठबंधन

सिडनी: न्यू साउथ वेल्स की संसद में एक असामान्य राजनीतिक तस्वीर देखने को मिली, जब लिबरल पार्टी के कुछ सांसद और मज़दूर यूनियनें एक साथ आकर सरकार द्वारा प्रस्तावित वर्कर्स कम्पेन्सेशन कानूनों में बदलाव का विरोध करने लगे। उनका कहना है कि ये बदलाव विशेष रूप से महिला कर्मचारियों पर "असमान और अन्यायपूर्ण प्रभाव" डालेंगे।

महामारी की पहली पंक्ति में दो साल से काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मी पहले ही मानसिक और शारीरिक थकावट का सामना कर रहे हैं। अब सरकार द्वारा प्रस्तावित ये नए नियम उनके लिए एक और संकट लेकर आ सकते हैं।

यूनियन नेताओं का कहना है कि प्रस्तावित कानूनों से कर्मचारियों के लिए मुआवजा प्राप्त करना कठिन हो जाएगा, खासतौर पर उन महिलाओं के लिए जो नर्सिंग, एजेड केयर और सामाजिक सेवा जैसे क्षेत्रों में काम कर रही हैं।

महिलाओं को होगा ज्यादा नुकसान

महिलाएं स्वास्थ्य सेवा और देखभाल के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में कार्यरत हैं, जहां कार्यस्थल की चोटें, मानसिक दबाव और थकावट आम हैं। लिबरल सांसदों का मानना है कि नए नियम इन मुद्दों को नजरअंदाज करते हैं और महिलाओं को मुआवजा पाने से वंचित कर सकते हैं।

लिबरल पार्टी की एक वरिष्ठ महिला सांसद ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, "यह सिर्फ आर्थिक मुद्दा नहीं है, यह न्याय का मामला है। हमें उन लोगों की आवाज़ सुननी होगी जो दिन-रात हमारे समाज को सुरक्षित रखने में लगे हैं।"

यूनियनों ने दी चेतावनी

NSW नर्सेस यूनियन और अन्य मज़दूर संघों ने सरकार को चेताया है कि अगर यह बिल बिना संशोधन के पारित हुआ, तो वे सड़कों पर उतरने से पीछे नहीं हटेंगे।

यूनियन प्रतिनिधि लिआ टेलर ने कहा, “महामारी के दौरान जिन लोगों ने जान की परवाह किए बिना काम किया, उन्हें अब उनके अधिकारों से वंचित करना सरासर अन्याय है। सरकार को यह कानून दोबारा सोचने की ज़रूरत है।”

सरकार का पक्ष

राज्य सरकार का कहना है कि यह कदम वर्कर्स कम्पेन्सेशन फंड के दीर्घकालिक स्थायित्व को सुनिश्चित करने के लिए उठाया जा रहा है, ताकि भविष्य में सभी कर्मचारियों को सहायता मिलती रहे।

हालांकि, बढ़ती राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया को देखते हुए सरकार पर दबाव है कि वह इन बदलावों को फिर से परखे और संवाद की प्रक्रिया शुरू करे।

निष्कर्ष

महामारी के दौर में अपनी जान जोखिम में डालकर सेवाएं देने वाले हजारों कर्मचारियों की मेहनत को अनदेखा करना राजनीतिक रूप से जोखिमभरा हो सकता है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस असामान्य गठबंधन के दबाव में आती है या नहीं।