रिज़र्व बैंक गवर्नर मिशेल बुलॉक: ब्याज दरों की मार, घर खरीदारों पर ₹290 अरब डॉलर का बोझ

रिज़र्व बैंक गवर्नर मिशेल बुलॉक: ब्याज दरों की मार, घर खरीदारों पर ₹290 अरब डॉलर का बोझ

सिडनी, 18 मई — ऑस्ट्रेलिया में महंगाई पर काबू पाने के लिए रिज़र्व बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया (RBA) द्वारा उठाए गए सख्त कदमों का सीधा असर आम घर खरीदारों और निवेशकों पर पड़ा है। अब तक ब्याज दरों में हुई बढ़ोतरी के चलते लोगों को लगभग 290 अरब डॉलर (लगभग ₹19 लाख करोड़ रुपए) का अतिरिक्त ब्याज चुकाना पड़ा है।

रिज़र्व बैंक की गवर्नर मिशेल बुलॉक की अगुवाई में की गई मौद्रिक सख्ती का उद्देश्य था — महंगाई को नियंत्रित करना और अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाना। लेकिन इस प्रयास में सबसे अधिक भार उन परिवारों पर पड़ा है जिन्होंने हाल के वर्षों में मकान खरीदे या निवेश किया।

विश्लेषकों का मानना है कि आरबीए की इस नीतिगत लड़ाई में सबसे बड़ा हथियार रहा ब्याज दरों को लगातार बढ़ाना। इससे जहाँ एक ओर मुद्रास्फीति में कुछ कमी जरूर आई, वहीं दूसरी ओर घर खरीदारों को अपने मासिक कर्ज़ की किश्तों में भारी बढ़ोतरी का सामना करना पड़ा।

संभावित राहत की उम्मीद
खबर है कि इस सप्ताह होने वाली आरबीए की बैठक में ब्याज दरों में कटौती पर विचार किया जा सकता है। यदि ऐसा होता है, तो यह उन लाखों लोगों के लिए राहत की खबर होगी जो मौजूदा आर्थिक दबाव से जूझ रहे हैं।

एक तिहाई आय सिर्फ ब्याज में जा रही
आंकड़ों के अनुसार, औसतन एक मध्यम वर्गीय परिवार अपनी मासिक आय का एक बड़ा हिस्सा केवल होम लोन के ब्याज में खर्च कर रहा है। इससे न केवल घरेलू बजट प्रभावित हो रहा है, बल्कि देश की खुदरा खपत में भी गिरावट दर्ज की गई है।

वित्तीय विशेषज्ञों की राय
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि “ब्याज दरों की यह आक्रामक नीति अल्पकालीन तौर पर जरूरी थी, लेकिन दीर्घकालिक रूप में इससे मांग पर प्रतिकूल असर पड़ा है।” अब जब महंगाई दर कुछ हद तक नियंत्रण में है, तो अगला कदम राहत देने का होना चाहिए।

यदि आरबीए इस सप्ताह ब्याज दरों में कटौती का ऐलान करता है, तो यह महंगाई की लड़ाई में एक नए चरण की शुरुआत होगी — एक ऐसी नीति जो संतुलन साधते हुए जनता को राहत भी दे।