'पीछे छूटने का एहसास': पारंपरिक लिंग भूमिका की ओर लौट रहे हैं युवा ऑस्ट्रेलियाई पुरुष

'पीछे छूटने का एहसास': पारंपरिक लिंग भूमिका की ओर लौट रहे हैं युवा ऑस्ट्रेलियाई पुरुष

सिडनी, 17 अप्रैल 2025 – एक नई रिपोर्ट ने ऑस्ट्रेलिया में युवाओं के बीच बढ़ती पारंपरिक सोच पर चिंता जताई है। विशेष रूप से 15 से 24 वर्ष की आयु के पुरुषों के बीच यह प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है, जहां वे मानते हैं कि पुरुषों को कमाने वाला और महिलाओं को घर संभालने वाली भूमिका में होना चाहिए।

नीतिगत थिंक टैंक ई61 इंस्टीट्यूट द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि 2018 के बाद से ऑस्ट्रेलियाई युवा पुरुषों की सोच में अचानक बदलाव आया है। वे पहले से कहीं अधिक पारंपरिक लिंग भूमिकाओं का समर्थन करने लगे हैं, यहां तक कि 55-64 वर्ष के पुरुषों की तुलना में भी अधिक।

यह अध्ययन HILDA (हाउसहोल्ड, इनकम एंड लेबर डायनामिक्स इन ऑस्ट्रेलिया) सर्वे डेटा पर आधारित है, जिसमें 2001 से 2023 तक लगभग 1 लाख प्रतिक्रियाएं शामिल की गईं। इसमें भाग लेने वालों से यह पूछा गया कि वे किन बयानों से कितनी सहमति रखते हैं, जैसे:

  • "पुरुष महिलाएं की तुलना में बेहतर राजनीतिक नेता होते हैं।"

  • "सभी के लिए बेहतर है कि पुरुष कमाएं और महिला घर व बच्चों की देखभाल करे।"

  • "अगर महिला पुरुष से ज्यादा कमाए तो रिश्ते में दिक्कत होती है।"

इस प्रवृत्ति के पीछे क्या कारण हैं?
मनोवैज्ञानिक डॉ. माइकल कैर-ग्रेग के अनुसार, यह बदलाव पारंपरिक मर्दानगी की एक 'जानी-पहचानी स्क्रिप्ट' को अपनाने की ओर इशारा करता है। "कई युवा पुरुष सामाजिक बदलावों से खुद को पीछे छूटा हुआ महसूस कर रहे हैं और इस समय उन्हें पहचान और अधिकार की तलाश है," उन्होंने कहा।

एंड्रयू टेट का प्रभाव
सोशल मीडिया पर एंड्रयू टेट जैसे 'मैनोस्फीयर' (पुरुष प्रधान विचारधारा) प्रचारकों का प्रभाव भी एक बड़ा कारण बताया जा रहा है। डॉ. कैर-ग्रेग ने कहा कि उनके क्लाइंट्स में भी टेट की विचारधारा का असर दिखता है, जो युवा पुरुषों को प्रगतिशील आंदोलनों से "धमकी महसूस होने" का कारण बनता है।

राजनीति पर असर
युवा पुरुषों का यह झुकाव राजनीति में भी दिख रहा है। रिसर्च संस्था एसेंशियल मीडिया के अनुसार, 35 वर्ष से कम आयु के ऑस्ट्रेलियाई पुरुषों में पीटर डटन की लोकप्रियता बढ़ रही है। वे "मर्दाना नेतृत्व शैली" को अधिक समर्थन दे रहे हैं, जो अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा चुनाव जीतने में भी देखने को मिला।

राजनीतिक विश्लेषक पीटर लुईस का मानना है कि यह बदलाव नीतियों की वजह से नहीं बल्कि "कैसे नेता नेतृत्व करता है" उस पर आधारित है। "पुरुषों में यह भावना है कि उनकी आवाज सार्वजनिक विमर्श में नहीं सुनी जा रही," उन्होंने कहा।

यह रिपोर्ट न केवल सामाजिक बदलावों को रेखांकित करती है, बल्कि इस बात पर भी रोशनी डालती है कि नई पीढ़ी के पुरुषों के मन में अपनी पहचान, भूमिका और स्थान को लेकर असमंजस और असुरक्षा बढ़ रही है।