ब्रिसबेन ओलंपिक 2032: विक्टोरिया पार्क पर स्टेडियम निर्माण को लेकर नया विवाद, पर्यावरणीय प्रभाव उजागर

ब्रिसबेन ओलंपिक 2032: विक्टोरिया पार्क पर स्टेडियम निर्माण को लेकर नया विवाद, पर्यावरणीय प्रभाव उजागर

ब्रिसबेन में 2032 ओलंपिक खेलों की तैयारी एक नए विवाद के घेरे में आ गई है, जब हालिया विश्लेषण और मॉडलों ने विक्टोरिया पार्क में प्रस्तावित मेगा स्टेडियम के पर्यावरणीय और शहरी प्रभावों को उजागर किया है। यह स्टेडियम लगभग 63,000 दर्शकों की क्षमता वाला होगा और इसके निर्माण पर 5 अरब डॉलर की अनुमानित लागत आंकी गई है।

स्थानीय पर्यावरण अनुसंधानकर्ता नील पीच द्वारा प्रस्तुत मॉडलिंग के अनुसार, विक्टोरिया पार्क की कुल 64 हेक्टेयर हरित भूमि में से लगभग 58 प्रतिशत हिस्सा इस निर्माण कार्य से प्रभावित होगा। यह वही पार्क है जिसे राज्य सरकार ने पहले "संरक्षित सार्वजनिक हरित क्षेत्र" घोषित किया था और जहां स्टेडियम निर्माण की योजना से इनकार किया गया था।

‘कंक्रीट और स्टील’ में तब्दील होगा हरित क्षेत्र: स्थानीय विरोध
‘सेव विक्टोरिया पार्क’ नामक अभियान समूह ने आधिकारिक योजनाओं के विपरीत एक नया दृश्यात्मक विश्लेषण प्रस्तुत किया है, जिसमें पर्थ का ऑप्टस स्टेडियम (60,000 सीटों वाला और 14 मंजिला ऊंचा) विक्टोरिया पार्क में सुपरइंपोज़ किया गया है। इस तुलना से पता चलता है कि प्रस्तावित स्टेडियम कितना विशाल होगा और कैसे यह पार्क और आसपास के रिहायशी क्षेत्रों पर भारी असर डालेगा।

ग्रुप की प्रवक्ता रोज़मेरी ओ'हागन ने कहा,
"इन नई छवियों से साफ होता है कि यह संरचना पूरी तरह से पार्क और आसपास के इलाकों को निगल जाएगी। इनमें अभी तक 25,000 सीटों वाले एक्वाटिक स्टेडियम, वार्म-अप ट्रैक और अन्य सुविधाओं को भी शामिल नहीं किया गया है।"

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार द्वारा जारी की गई आधिकारिक तस्वीरें भ्रामक हैं और वास्तविक योजना को छुपाने का प्रयास कर रही हैं।

"सरकारी रेंडर सिर्फ आर्किटेक्चरल आर्टिफाइस हैं—ना ये ठोस योजनाएं हैं, ना ही ईमानदार प्रस्तुतियां," ओ’हागन ने जोड़ा।

सरकार पर भरोसा टूटता नजर आ रहा है
स्थानीय नागरिकों और पर्यावरण समर्थकों का कहना है कि राज्य सरकार ने जिस पारदर्शिता और हरित संरक्षण की बात की थी, वह अब केवल कागज़ों तक सीमित रह गई है। विक्टोरिया पार्क को लेकर लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं, और इस निर्माण योजना से शहरी पारिस्थितिकी पर गंभीर प्रभाव पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

अब देखना यह होगा कि क्या सार्वजनिक दबाव और पर्यावरणीय चेतावनियों के बाद सरकार इस योजना में बदलाव करती है या नहीं। लेकिन फिलहाल, ब्रिसबेन के सबसे बड़े हरित क्षेत्र का भविष्य "कंक्रीट और स्टील" के साये में नजर आ रहा है।