सिडनी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शुरू की गई वैश्विक टैरिफ (शुल्क) युद्ध की नीति अब अमेरिका से निकलकर ऑस्ट्रेलिया तक असर दिखा रही है। जहां अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए महंगाई बढ़ने की आशंका है, वहीं ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों और व्यापारियों में भी सतर्कता बढ़ी है। अब वे भविष्य की अनिश्चितताओं को देखते हुए अधिक बचत की प्रवृत्ति अपना रहे हैं।
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन द्वारा चीन और अन्य व्यापारिक भागीदारों पर लगाए गए भारी टैरिफ से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में लागत बढ़ेगी। इसका सीधा असर ऑस्ट्रेलिया जैसे आयात-निर्भर देश की वस्तुओं की कीमतों पर भी पड़ सकता है, विशेषकर उन वस्तुओं पर जो अमेरिकी या चीनी आपूर्ति श्रृंखलाओं से जुड़ी हैं।
बढ़ती महंगाई की आशंका में उपभोक्ता सतर्क
ऑस्ट्रेलियाई रिजर्व बैंक के कुछ पूर्व अधिकारियों और स्वतंत्र विश्लेषकों ने संकेत दिया है कि देश के उपभोक्ता अब अपने बजट का पुनर्मूल्यांकन कर रहे हैं। अनिश्चित अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीतियों के कारण लोग भविष्य में संभावित आर्थिक दबाव को लेकर आशंकित हैं, और यही कारण है कि वे बचत को प्राथमिकता दे रहे हैं।
छोटे व्यवसायों पर दबाव
सिर्फ आम नागरिक ही नहीं, छोटे और मझोले व्यापारियों पर भी दबाव बढ़ने की संभावना है। आयात लागत बढ़ने से उनका मुनाफा घट सकता है और प्रतिस्पर्धा में टिके रहना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इस कारण कई व्यापारी निवेश के बजाय पूंजी सुरक्षित रखने की दिशा में कदम उठा रहे हैं।
सरकार की भूमिका अहम
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह टैरिफ युद्ध लंबा चला, तो ऑस्ट्रेलियाई सरकार को रणनीतिक हस्तक्षेप करना पड़ सकता है। स्थानीय विनिर्माण को प्रोत्साहन देना, आयात विकल्पों का विस्तार करना और उपभोक्ताओं को राहत देने की योजनाएं बनानी होंगी।
निष्कर्ष
हालांकि ट्रंप की टैरिफ नीति अमेरिका केंद्रित है, लेकिन वैश्विक अर्थव्यवस्था की आपसी निर्भरता के कारण उसका प्रभाव अब ऑस्ट्रेलिया की आर्थिक मानसिकता पर भी साफ दिखने लगा है। आने वाले महीनों में यह देखा जाएगा कि उपभोक्ता और व्यापारिक जगत इस बदलते परिदृश्य में किस तरह सामंजस्य बैठाते हैं।