कैनबरा: ऑस्ट्रेलियाई संघीय सरकार का जलवायु परिवर्तन और नेट ज़ीरो नीतियों पर वार्षिक खर्च अब 9 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर तक पहुँच गया है, जो एक दशक पहले मात्र 60 करोड़ डॉलर था। यह 15 गुना से अधिक की बढ़ोतरी दर्शाता है और स्पष्ट संकेत देता है कि सरकार जलवायु संकट से निपटने के लिए अब कहीं अधिक संसाधन लगा रही है।
वित्त विभाग द्वारा हाल ही में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, यह बढ़ा हुआ निवेश अक्षय ऊर्जा, उत्सर्जन में कटौती, जलवायु अनुकूलन, और ग्रीन हाइड्रोजन जैसी प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। इसमें राष्ट्रीय स्तर की परियोजनाओं के साथ-साथ निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में चल रही पहलों को भी शामिल किया गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह निवेश आने वाले वर्षों में और बढ़ सकता है, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने और 2050 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है।
हालांकि, विपक्षी नेताओं और कुछ आर्थिक समीक्षकों ने इतनी तेज़ी से बढ़ते खर्च को लेकर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि सरकार को पारदर्शिता के साथ यह बताना चाहिए कि किस योजना पर कितना खर्च किया जा रहा है और उसका वास्तविक पर्यावरणीय असर क्या है।
इस बीच, पर्यावरण समूहों और जलवायु कार्यकर्ताओं ने इस वृद्धि का स्वागत किया है, लेकिन यह भी स्पष्ट किया है कि केवल खर्च बढ़ाना काफी नहीं है—नीतियों के क्रियान्वयन और प्रभाव पर भी कड़ी निगरानी जरूरी है।
सरकार ने आश्वासन दिया है कि आने वाले बजटों में जलवायु नीतियों को और अधिक मजबूती दी जाएगी, जिससे देश न सिर्फ कार्बन मुक्त भविष्य की ओर बढ़े, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी भूमिका को प्रभावी ढंग से निभा सके।