न्यूज़ीलैंड संसद में महिला सांसद ने दिखाया खुद का न्यूड डीपफेक, बोलीं – “डरावना था लेकिन ज़रूरी”

न्यूज़ीलैंड संसद में महिला सांसद ने दिखाया खुद का न्यूड डीपफेक, बोलीं – “डरावना था लेकिन ज़रूरी”

वेलिंगटन। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते दुरुपयोग के खिलाफ एक साहसिक कदम उठाते हुए न्यूज़ीलैंड की सांसद लॉरा मैकक्ल्योर ने संसद में खुद की बनाई गई एक डीपफेक न्यूड तस्वीर को दिखाया। उन्होंने इस क्षण को "बेहद डरावना" बताया, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इसे करना आवश्यक था ताकि इस बढ़ते साइबर खतरे की गंभीरता उजागर हो सके।

मैकक्ल्योर ने बताया कि उन्होंने यह नकली न्यूड तस्वीर खुद इंटरनेट से मिली सामान्य जानकारी और एक मुफ्त AI टूल की मदद से सिर्फ पाँच मिनट में बनाई। “यह चित्र असली नहीं था, लेकिन वह हूबहू मेरे जैसा दिखता था। अगर मैं खुद को इस स्थिति में देखकर डर सकती हूँ, तो सोचिए एक आम लड़की पर क्या बीतती होगी,” उन्होंने संसद में कहा।

उन्होंने मांग की कि न्यूड इमेज के गैर-सहमति प्रसार के कानूनों में डीपफेक तकनीक से बनी अश्लील तस्वीरों को भी शामिल किया जाए। “यह असली तस्वीरों से कहीं अधिक नुकसानदेह हैं, क्योंकि इनसे व्यक्ति की छवि को बुरी तरह बदनाम किया जा सकता है,” उन्होंने कहा।

ऑस्ट्रेलिया में भी बढ़ रही चिंता

ऑस्ट्रेलिया में भी डीपफेक का संकट गहराता जा रहा है। मेलबर्न के ग्लैडस्टोन पार्क सेकेंडरी कॉलेज और बाकस मार्श ग्रामर स्कूल में 50 से अधिक छात्राओं की अश्लील डीपफेक तस्वीरें वायरल हो चुकी हैं। एक मामले में 13 वर्षीय लड़की ने आत्महत्या का प्रयास तक किया।

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ और पूर्व पुलिस अधिकारी सुसन मैकलीन ने चेतावनी दी कि यह अपराध तेजी से सामान्य होता जा रहा है। “अब किसी की पूरी तरह कपड़ों वाली फोटो अपलोड करके उसकी अश्लील डीपफेक तस्वीर बनाना बच्चों का खेल हो गया है,” उन्होंने कहा।

उन्होंने कहा कि हमें तकनीक को नहीं, बल्कि मानसिकता को बदलना होगा। “लड़कों को स्कूलों और घरों में सही व्यवहार की शिक्षा देनी होगी। माता-पिता और समाज के सभी वर्गों को मिलकर जिम्मेदारी निभानी होगी।”

महिला हस्तियों पर भी हमले

हाल ही में NRL की प्रस्तोता टिफनी सैलमंड और NRLW की खिलाड़ी जेमी चैपमैन भी डीपफेक का शिकार हुई हैं। टिफनी ने बताया कि उनकी स्विमवियर तस्वीर को एडल्ट वीडियो में बदल दिया गया और सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया गया।

“मैंने वह तस्वीर आत्मविश्वास के साथ पोस्ट की थी, लेकिन जब देखा कि उसमें मुझे अश्लील हरकतें करते हुए दिखाया गया है, तो वह बहुत ही डरावना अनुभव था,” उन्होंने इंस्टाग्राम पर कहा।

निष्कर्ष:

AI आधारित डीपफेक टेक्नोलॉजी जहां एक ओर कई क्षेत्रों में उपयोगी हो सकती है, वहीं गलत हाथों में यह खतरनाक हथियार बन गई है। इस मुद्दे को अब केवल कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना और नैतिक मूल्यों के स्तर पर भी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।